बौद्ध विरासत का संरक्षण : शोधपत्र प्रस्तुत किये

बौद्ध विरासत का संरक्षण : शोधपत्र प्रस्तुत किये
नई दिल्ली के जनपथ पर स्थित डा0 अम्बेडकर अन्तराष्ट्रीय केन्द्र पर 28 से 30 नवम्बर 2025 तक ग्रामीण बौद्ध विरासत का संरक्षण विषय पर तीन दिवसीय अन्तराष्ट्रीय संगोष्ठी का विधिवत उदघाटन हरियाणा सरकार के पूर्व प्रशासक एस0 के0 मिश्रा ने किया और ग्रामीण बौद्ध विरासतों के शीघ्र संरक्षण की आवश्यकता बताई । उज्जैन बुद्धिस्ट सोसाइटी के संरक्षक एवं विपश्यना साधना गुरू भिक्खु डा0 सुमेध थेरो ने मध्य भारत में कम जानकारी वाले स्थान गुजर्रा शिलालेख जो दतिया जिले में स्थित है और ऐतिहासिक प्रमाण के तहत सम्राट अशोक ने उत्तर से दक्षिण की भारत यात्रा के समय तीन दिन पढाव डाला था, ललितपुर देवगढ, की बौद्ध गुफायें एवं मूर्तियों जो धजग्ग सुत्त पर साधना की गहराई को दर्शाती हैं, साथ ही भरहुत, सुनदर्शी, सोढन, उन्डासा की विरासत का वर्णन किया, डा0 हरी बाबू कटारिया, संयुक्त मंत्री डा0 विनोद सेवरिया ने उज्जैन और आस-पास के क्षेत्रों में फैली बौद्ध विरासत वैश्य टेकरी स्तूप आदि पर, विशाखा संगठन के मंत्री डा0 प्रेमराज खनखने एवं जबलपुर के दोमा राव खातरकर ने मध्य प्रदेश की बौद्ध विरासतों सम्राट अशोक के शिलालेख और उन स्थानों के संरक्षण में किये गये कार्य को इस मंच पर प्रस्तुत किया ! दिल्ली के बिजय वीर सिंह एवं डा0 हरी बाबू कटारिया ने संयुक्तरूप से ब्रज क्षेत्र की बौद्ध विरासतों मथुरा, अतरंजीखेडा, सासनी आदि पर सिवी जातक का वर्णन करते हुये अपना शोधपत्र प्रस्तुत किया, चन्द्रसेन बौद्ध द्वारा प्रस्तुत दिल्ली एवं आस-पास के उत्तर प्रदेश, हरियाणा की बौद्ध विरासतेंा पर चर्चा की, मुम्बई विश्व विद्यालय के डा0 सुनील कामले एवं मंगला कामले ने बौद्ध विरासतेंा को कैसे संरक्षित किया जाय अपना शोधपत्र प्रस्तुत किया । सिरीलंका के दिलांजा पतिराजा एवं भाग्यविसंघे ने भारत की खंजडीनुमा नृत्य सहित बौद्ध विरासत के रूप् में कैसे संरक्षित किया जाय पर चर्चा की । अभीतक बौद्ध विरासतों को वास्तुकला विज्ञान का आधार मानकर अध्ययन एवं संरक्षण की ओर ध्यान नहीं दिया गया है इस आयोजन से यहकमी पूरी होगी !
भारत सहित 10 देशों के प्रतिनिधियों ने इसमें भागीदारी निभाई तथा एकमत से सभी ने बौद्ध विरासतें जो ग्रामीण क्षेत्रों में न केवल भारत में वल्कि जहाॅं कहीं भी हैं – फैली हुई हैं उनकी ओर सरकार एवं स्थानीय जनता का कम ध्यान है । अतः शीघ्र संरक्षण एवं विकास की आवश्यकता पर जोर दिया गया, होंग कोंग की डा0 मौन्ट्रिया उनाकुल, सिरीलंका पुरातत्व सर्वेक्षण के पूर्व महा निदेशक डा0 अनुरा मनतुंगा, अमेरिका की वांगमो डिक्सी, रूस से डा0 विक्टोरिया डिमेनोवा, नैपाल के नीलकमल चंम्पैंग, यूनिस्को की सुपिचा सुथानोंकुल, आदि ने बिचार व्यक्त किये। आंध्र प्रेदश सरकार ने नागार्जुन कोण्डा क्षेत्र में 5 एकड भूमि जिसे अकादमी स्थापित करने के लिये आवंटित किया है शिक्षा के केन्द्र के रूप में स्थापित कर शीघ्र ही विकसित किया जायेगा । विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों को एंसिंएट बुद्धिस्म के 12 वंे अंक की प्रति भेट की गई ! रिपोर्ट बाई आजाद सिंह समाचार इंडिया न्यूज़ दिल्ली